गजल-अर्कै संग मन मुटू साट्ने पो हौ की- सौजन्या सुबेदी ‘प्रज्ञा’
Published : 2 years ago

हुन्छ हुन्छ भन्दै भर काट्ने पो हौ की
अर्कै संग मन मुटू साट्ने पो हौ की।।
टाढादुरी भय पनि मनको नाता गहिरो होस
काप्छ मुटू अन्तै माया बाट्ने पो हौ की।।
तिम्रै नाम मुटू भरि धडकाएर बसेकी छु
ठिक्क पार्न यता मलाई ढाट्ने पो हौ की ।।
तिम्रै बिश्वासमा परेकी छु है बिचार गर
मन जलाउन कतै सर्नआट्ने पो हौ की।।
सौजन्या सुबेदी ‘प्रज्ञा’
बाग्लुङ